Logbook of an Unknown Artist | Paintings Of Animesh Roy

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Saturday, January 19, 2019

दो दिन के लिए मेहमान यहाँ (Do Din Ke Liye Mehman Yahan) | Badal (1951) | Madhubala | Lata Mangeshkar







दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा
अरमान भरा दिल तो है मगर
जो दिल से मिले वो दिल है कहा

एक फूल जला एक फूल खिला
कुच्छ अपना लूटा कुच्छ उनको मिला
एक फूल जला एक फूल खिला
कुच्छ अपना लूटा कुच्छ उनको मिला
कैसे करे किस्मत से गीला
हम कैसे करे किस्मत से गीला
रंगीन हर एक महफ़िल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा

दुनिया मे सवेरा होने लगा
इश्स दिल मे अंधेरा होने लगा
हर जख्म सिसक के रोने लगा
हर जख्म सिसक के रोने लगा
किस मुँह से कहे कातिल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा

जलता है जिगर उठता है धुवा
आँखो से मेरी आँसू है राव
जलता है जिगर उठता है धुवा
आँखो से मेरी आँसू है राव
मरने से हो जाए ऐसा
जो मरने से हो जाए ऐसा
ऐसी यह मेरी मुश्किल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा.

शैलेंद्रा ( शंकरदास केसरीलाल )
बदल (१९५१)

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