दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा
अरमान भरा दिल तो है मगर
जो दिल से मिले वो दिल है कहा
एक फूल जला एक फूल खिला
कुच्छ अपना लूटा कुच्छ उनको मिला
एक फूल जला एक फूल खिला
कुच्छ अपना लूटा कुच्छ उनको मिला
कैसे करे किस्मत से गीला
हम कैसे करे किस्मत से गीला
रंगीन हर एक महफ़िल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा
दुनिया मे सवेरा होने लगा
इश्स दिल मे अंधेरा होने लगा
हर जख्म सिसक के रोने लगा
हर जख्म सिसक के रोने लगा
किस मुँह से कहे कातिल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा
जलता है जिगर उठता है धुवा
आँखो से मेरी आँसू है राव
जलता है जिगर उठता है धुवा
आँखो से मेरी आँसू है राव
मरने से हो जाए ऐसा
जो मरने से हो जाए ऐसा
ऐसी यह मेरी मुश्किल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नही मंज़िल है कहा.
शैलेंद्रा ( शंकरदास केसरीलाल )
बदल (१९५१)